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नार्को टेररिज़्म

प्रेय पटेल, नार्को टेररिज़्म 4th Estate News
प्रेय पटेल

अभी अभी हमने समाचार की सुर्खिओ में देखा ही होगा की सिनेमा जगत की बहुचर्चित अभिनेत्री को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी)ने नार्कोटिक ड्रग्स एवं साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट, १९८५ की विविध धाराओं के तहत गिरफ्तार किया। ड्रग्स के शिकंजे में फसना मायाजगत के लोगों के लिए कोई नई बात नहीं है, क्योकि इसके पहले भी कई अभिनेता एवं अभिनेत्रियां ड्रग्स सेवन जैसे अपराधों में पकडे जा चुके है। २१वी सदी के लोग ज्यादातर सिनेमा जगत के रील वाले हीरो को ही अपनी जिंदगी का असली हीरो मान लेते है और उसका अनुकरण करने की कोशिश करते है। रील हीरो ने जो भी किया वोह सभी चीजे स्टालिस्ट! फिर वह चाहे मादक पदार्थो का सेवन ही क्यों न हो? सही गलत की उसे कोई परवाह ही नहीं है।

भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा जारी मैग्नीट्यूड ऑफ़ सबस्टेंस यूज़ इन इंडिया, २०१९ के आंकड़े देखे तोह भारत की १३५.२६ करोड़ की आबादी में से ६.१७ करोड़ लोग वैध एवं अवैध रूप से मादक पदार्थो का सेवन करते है।

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और सबसे ज्यादा चौकावनारे आंकड़े १०-१७ वर्ष के बच्चो के है, कही न कही यह लोग भी जाने अनजाने में शराब एवं ड्रग्स के झपेटे में आ गए है।

“वॉर अगेंस्ट ड्रग्स” और “वॉर अगेंस्ट टेरर” पहले यह दोनों लड़ाईया अलग-अलग थी लेकिन अब तो ड्रग्स की तस्करी एवं टेरर दोनों का गठजोड़ बन गया है जिसे हम “नार्को टेररिज़्म” कहते है। जैसे की “ड्रग्स बेचके मिले पैसो से आंतकवाद को बढ़ावा देना” या “आंतकवाद फ़ैलाने के प्रतिफल स्वरूप ड्रग्स एवं नशीले पदार्थ मुहैया करवाना”। यूनाइटेड स्टेट्स ड्रग एनफोर्समेंट एजेंसी की  “नार्को टेररिज़्म” की व्याख्या के शब्द दर शब्द पर गौर करे तो:

“नार्को टेररिज़्म के अंतर्गत उसमें भाग लेने वाले समूहों अथवा उससे जुड़े लोगों द्वारा आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अथवा उसको धनराशि देने के लिहाज़ से मादक पदार्थो की तस्करी कर उन्हें सुरक्षा एवं हर प्रकार की मदद मुहैया करवाना।”

नार्को टेररिज़्म का उदहारण है “१९९३ का मुंबई में हुआ बॉमब्लास्ट” जिसमे भारत की डी-गैंग शामिल थी। ऐसा कहा जाता है की यह अपने “पाकिस्तान स्थित ख़ुफ़िया स्त्रोत” द्वारा बड़े पैमाने पर भारत में मादक पदार्थो की तस्करी में शामिल थे। और उससे मिले पैसो से ही यह भारत में आतंकवादी गतिविधियाँ करते थे। “गोल्डन क्रेसेंट” यानि ईरान, अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान के बिच का विस्तार जहाँ पर अवैध रूप से ओपियम उगाया जाता है वह प्रमुख ड्रग्स निर्माणकर्ता और आपूर्तिकर्ता है। भारत देश में हेरोइन एवं ओपियम की पश्चिमी सीमा के पंजाब राज्य से; पॉपी हस्क की राजस्थान से; सिंथेटिक ड्रग्स की हिमाचल प्रदेश से तस्करी होती है। इसके अलावा हेरोइन अवैध रूप से “गोल्डन ट्रायंगल” जो म्यानमार, लाओस, थाईलैंड की सीमाओं के बीच का क्षेत्र है वहाँ भी उगाया जाता है जिसका सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र भारत की उत्तर पूर्वीय सीमा का मणिपुर राज्य है। लेकिन बीते कुछ वर्षों में जम्मू कश्मीर राज्य में नार्को टेररिज़्म बढ़ता ही चला जा रहा है। राज्य के अवैध रूप की आपूर्ति के २०-२५% ही मादक-पदार्थ देश के अन्य राज्य से तस्करी करके घुसाए जाते है, रिक्त आपूर्ति पड़ोशी देश पाकिस्तान से तस्करी करके जम्मू कश्मीर राज्य में घुसाया जाता है। पड़ोशी देश ने आतंकवादी गतिविधिओं को बरक़रार रखने के लिए अब नार्को टेररिज़्म का रास्ता अपनाया है जिसमें कश्मीरी युवाओं को कुरियर के तौर पे इस्तमाल किया जा रहा है। पहले इनको मादक पदार्थो की लत लगाई जा रही है फिर उसकी आपूर्ति के लिए युवाधन आतंकवाद जैसी देशविरोधी गतिविधिओं में शामिल हो रहे है। देश के अन्य राज्यों में भी मादक पदार्थो की तस्करी तेजी से बढ़ने लगी है। और इसका सबसे ज्यादा दूशप्रभाव आंतराष्ट्रीय सीमा से सटे राज्यों पे पड़ता है।

हमारे संविधान के निर्माणकर्ताओं ने लोगों के पोषाहार स्तर एवं जीवन स्तर को ऊँचा करने तथा लोक स्वास्थ्य का सुधार करने के कार्य को स्पष्ट रूप से अनुच्छेद ४७ के तहत राज्य सरकारों का कर्तव्य बताया है। अनुच्छेद ४७ कहता है की, “राज्य, अपने लोगों के पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊँचा करने और लोक स्वास्थ्य के सुधार को अपने प्राथमिक कर्तव्यों में मानेगा और राज्य, विशिष्टतया, मादक पेयों और स्वास्थ्य के लिए हानिकर ओषधियों के, औषधीय प्रयोजनों से भिन्न, उपभोग का प्रतिषेध करने का प्रयास करेगा।” इसके हिसाब से जैसे गुजरात, बिहार राज्यों में दारुबंधी लगाई गई है, वैसे अगर राज्य सरकार चाहे तोह मादक पेयों को प्रतिषेध करने का प्रयास कर सकती है। भारत सरकारने नार्कोटिक ड्रग्स एवं साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट, १९८५ पारित किया है जो “स्वापक ओषधियों से संबंधित विधि का समेकन और संशोधन करने के लिए, स्वापक ओषधियों और मनःप्रभावी पदार्थों से संबंधित संक्रियाओं के नियंत्रण और विनियमन के लिए (स्वापक औषधि और मनःप्रभावी पदार्थों के अवैध व्यापार से प्राप्त या उसमें प्रयुक्त संपत्ति के समपहरण का उपबंध करने के लिए, स्वापक ओषधि और मनःप्रभावी पदार्थों पर अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन के उपबंधों को कार्यान्वित करने के लिए) तथा उससे संबंधित विषयों के लिए कड़े उपबन्ध करने के लिए” आदि के लिए अधिनियम है। जिसके कार्यान्वयन को सक्षम करने के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) नामक जांच संस्था का गठन किया गया है। इसके अलावा भारत सरकारने संयुक्त राष्ट्र की यूनाइटेड नेशन कन्वेंशन अगेंस्ट इल्लयीसीट ट्राफिक इन नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस की संधि भी की है जो “मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ एक व्यापक उपाय प्रदान करता है, जिसमें मनी लॉन्डरिंग के खिलाफ भी प्रावधान शामिल हैं एवं इसके लिए आंतरराष्ट्रीय सहयोग भी प्रदान करता है।”

जैसे हमने देखा की सरकार ने मादक प्रदार्थो के प्रतिषेध के लिए सख्त कानून बनाया है लेकिन शायद लोगों को कानून का डर नहीं है या फिर कानून की कमज़ोरियों का उपयोग करके हमेंशा बच लिकलते है। एनडीपीएस एक्ट, १९८५ को और भी सख्त करने की जरुरत है क्योकि जिस तरह से देश का युवाधन कानून की अवहेलना करके अवैध ड्रग्स का सेवन करते जो की किसीभी रूप से स्वीकृत करने योग्य नहीं है। अगर हम युवापीढ़ी की ड्रग्स के प्रति मानसिकता को देखे तो

“मारिजुआना” जिसे हम वीड, गांजा, कैनाबिस, पॉट, डोप आदि नामों से जानते है। नार्कोटिक ड्रग्स एवं साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट, १९८५ के अनुच्छेद २०(बी) के तहत कैनबिस की खेती, परिवहन, आयात, निर्यात, संग्रह, क्रय, विक्रय, उत्पादन, कब्ज़ा और उपभोग अनुज्ञप्ति और इस अधिनियम के अंतर्गत किसी आदेश के बगैर दंडनीय है। तो क्या यह युवापीढ़ी को पता नहीं है या उनको कानून का डर नहीं या फिर ड्रग्स का कारोबार चलानेवाले लोग इनको जबरदस्ती यह मानसिकता थोप रहे है!

२१वीं सदी के आधुनिक युग में हम पुरे विश्व की कायापलट करने का सामर्थ्य रखते है, लेकिन आज की हमारी युवापीढ़ी शराब-ड्रग्स के रास्ते पे चढ़ गयी है। शुरू शुरू में तोह ये सब स्टाइलिस्ट और कूल लगता है, बाद में यही चीजें हमारे पुरे शरीर को नियंत्रण करने लगती है। शराब-ड्रग्स इनसब कूल चीजों के पीछे का सच न यह लोग जानते है और नाहीँ समज ने के लिए सक्षम भी है! विश्व की सबसे ज्यादा युवापीढ़ी भारत के पास है, जो भारत का गर्व है; लेकिन यही लोग अपने ही पैसो से अवैध रूप से ड्रग्स आदि चीजें खरीदते है और उसका सेवन करते है जिससे वह अपनी मानसिक-शारीरिक स्वास्थ्य को तोह हानि पहुँचाते ही है साथोसाथ अपने ही देश के खिलाफ़ होनेवाली आंतकवादी गतिविधिओं का फंडिंग भी मुहैया कराते है। अगर स्पष्ट रूप से कहा जाए तो नार्को टेररिज़्म को पोषते है।

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