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वर्क फ्रॉम होम भा रहा है कंपनियों को

ऋचा मित्तल

गूगल और फेसबुक जैसी बड़ी कंपनियों ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की है कि उनके कर्मचारी वर्ष 2021 तक घर से काम करेंगे। कंपनी ने घर में वर्क स्पेस डेवलप करने के लिए स्पेशल पैकेज के तौर पर प्रत्येक कर्मचारी को 1000 डॉलर (लगभग 75 हजार रुपये) तक देने का ऐलान किया गया है।

कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में लाइफस्टाइल की परिभाषा ही बदल दी है। हालांकि हमारे देश में अनलॉक के बाद से बहुत कुछ सामान्य हो रहा है। सड़कों पर भीड़ नजर आने लगी है। कोरोना का डर लोगों के मन से निकल रहा है, परंतु सोशल डिस्टेंसिंग हमारी संस्कृति में जरूर शामिल हो गई है। यही कारण है कि अब जब कोई हमें स्पर्श कर गुजरता है तो संक्रमण को लेकर हम सतर्क हो जाते हैं, जिसे हम पहले नजरअंदाज कर चलते थे। लोग धीरे-धीरे कोरोना संक्रमण की बढ़ती संख्या से भी अपना ध्यान हटाने लगे हैं। अब कोरोना के साथ जीना है, का फॉर्मुला भी लोगों ने स्वीकार कर लिया है। इन सबके बीच ऑनलाइन क्लासेस, वर्क फ्रॉम होम सहित डिजिटल वर्ल्ड पर लोगों की बढ़ती निर्भरता भारत को बड़े परिवर्तन की ओर ले जा रहा है।

कोरोना काल में ही हमारे देश के लोगों ने सीखा कि एक-दूसरे से शारीरिक दूरी बनाकर रहना संक्रमण रोकने के लिए कितना फायदेमंद है। लोगों में हाइजेनिक सेंस इतना अधिक जरूर डेवलप हो गया कि खुद के चेहरे को भी अपने हाथों का विश्वास न रहा! इसे सकारात्मक सोच के साथ स्वीकार करना चाहिए कि बिना हाथ धोए कुछ खा लेने, खाने की किसी चीज को उठा लेने की गलत आदतों को लोगों ने स्वयं छोड़ दिया है। शहरी और शिक्षित इलाकों की बात छोड़ दें, ग्रामीण इलाकों में भी काफी बदलाव नजर आने लगा है। इससे एक बात सामने आई कि हम अपने आपको अवश्य बदल सकते हैं। यह विचार सामाजिक जीवन में बहुत बड़ी क्रांति ला सकता है। पिछले चार महीनों से से लोग वर्क फ्रॉम होम (घर से काम) कर रहे हैं। इन दिनों वर्क फ्रॉम होम कल्चर कई मायनों में चर्चा का विषय बना हुआ है।

वर्क फ्रॉम होम को लेकर कुछ कंपनियां एक्सपेरिमेंट कर रही थीं। पर इसी बीच कोरोना काल में मजबूरी के रूप में आए इस कल्चर को सभी ने एक झटके में अपना लिया। कामकाज का यह अंदाज कुछ रोमांचक जरूर लगा। प्रॉडक्शन, बिजनेस रिस्पॉन्स और गुड्स सर्विसेज जैसे कुछ सेक्टर को छोड़ दें तो ऑफिस डेस्क पर होने वाले कामों के साथ इस कल्चर ने रफ्तार पकड़ ली है। अब सामान्य रूप से हमारे देश में यह सिस्टम चल पड़ा है। सबसे बड़ी बात है कि इस महामारी के चलते बेरोजगारी की उभरती समस्या को इस कल्चर ने कुछ क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा किए हैं। यह उम्मीद भरी बात है। बैंक, मीडिया, ई-कॉमर्स, आईटी समेत दूसरे कई क्षेत्रों में काम करने वाली कंपनियों ने नई नियुक्तियां शुरू कर दी हैं लेकिन उसमें से ज्यादातर वर्क फ्रॉम होम के लिए हैं। एक्सिस  बैंक ने एक साल में रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए ‘गिग-अ-ऑपरच्यूनिटीज’ पहल के तहत 1000 लोगों नौकरियां देने की घोषणा की है। वर्क फ्रॉम होम कल्चर के तहत ही ये कर्मचारी काम करेंगे। अमेजन, फेसबुक, गूगल समेत कई कंपनियां पहले ही अगले साल तक वर्क फ्रॉम होम बढ़ा चुकी हैं।

प्रॉपर्टी कंसल्टेंट कंपनी नाइट फ्रैंक ने मई के अंत में अपनी सर्वे रिपोर्ट में बताया था कि देश की लगभग 70 फीसदी कंपनियां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए अगले छह महीने यानी नवंबर 2020 तक वर्क फ्रॉम होम की पॉलिसी अपनाएगी। इस रिपोर्ट में सोशल डिस्टेंसिंग की एक शर्त जुड़ी हुई थी, पर कई कंपनियां अब इसे आगे बढ़ा रही हैं। इससे यह बात उभरकर आ रही है कि घर से काम कराने का कल्चर कंपनियों को रास आने लगा है। इसके लिए कुछ कंपनियां कर्मचारियों को घर पर वर्क स्टेशन डेवलप करने के लिए स्पेशल पैकेज भी दे रही हैं। इसके पीछे कंपनियों का तर्क है कि इंटरनेट सर्विस, कामकाज के माहौल, साधनों की जरूरत बढ़ाने पर ही कर्मचारी बेहतर ढंग से घर पर काम कर सकेंगे। अगर कर्मचारी ऑफिस जैसी सुविधाएं महसूस करेंगे तभी उनके कामकाज की क्वॉलिटी अच्छी होगी। कंपनियों का मानना है कि कर्मचारी घर पर काम करते समय अपने वर्क स्पेश का इस्तेमाल करते हैं। कोरोना काल में काफी कर्मचारियों की छंटनी भी की हुई है। इससे घर में काम करने वाले कर्मचारियों को एक डर सा लगा रहता है कि कहीं कंपनी उसकी जरूरत कम करके न आंक रही हो। इस लिहाज से घर से काम करने वाले कर्मचारियों को आश्वस्त करना भी जरूरी समझा गया। इस लिहाज से कुछ कंपनियों ने गाइडलाइन जारी की है कि समय से पहले मीटिंग न करें, लंच आवर का समय भी निकालें और अपने आपको तनाव मुक्त रखें।

कुछ कंपनियों के नाम इन दिनों सुर्खियों में आ रहे हैं। इंडिया इंक कंपनी कोरोना को लेकर पहले से ही प्रत्याशित से अधिक दिनों तक घर से काम करवाने के पक्ष में है। गूगल और फेसबुक जैसी बड़ी कंपनियों ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की है कि उनके कर्मचारी वर्ष 2021 तक घर से काम करेंगे। कर्मचारी अपने घर में वर्क स्पेस के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप कर सकें इसके लिए प्रत्येक कर्मचारी को 1000 डॉलर (लगभग 75 हजार रुपये) तक का विशेष भत्ता देने का भी ऐलान किया गया है। मोबाइल मैसेजिंग इंस्टेंट प्लैटफॉर्म हाइक ने दिसंबर 2020 तक घर से काम कराने के मॉडल को अपनाया है। इस कंपनी ने दिल्ली और एनसीआर में रहने वाले अपने उन कर्मचारियों, जो यहां से बाहर काम करते हैं उनके लिए एर्गोनोमिक ऑफिस चेयर और नई कॉम्पैक्ट ऑफिस टेबल देने का ऐलान किया है। इसके लिए कंपनी प्रत्येक कर्मचारी पर 40,000 रुपये तक खर्च करेगी। हालांकि, कंपनी ने अपने कार्यालय को उन कर्मचारियों के लिए खुला रखा है, जो ऑफिस का सिस्टम इस्तेमाल करना चाहते हैं। कार्यालय में आने की चाह रखने वालों के लिए सोशल डिस्टेंसिंग और स्वच्छता सुनिश्चित करने का निर्देश पालन करना होगा। कंपनी कर्मचारियों को इंटरनेट और आईटी से जुड़े साधनों की जरूरत पूरी करने का ऐलान किया है।

एक बड़ा सवाल भी उठ रहा है कि बहुत सी ऐसी कपनियां हैं, जिनके कर्मचारी घर से काम तो कर रहे हैं, पर बिजली, इंटरनेट और अन्य साधनों पर उन्हें अच्छा-खासा खर्च अपनी जेब से करनी पड़ रही है, जबकि कर्मचारियों की सैलरी का कुछ हिस्सा भी काट लिया गया है। इसके अतिरिक्त एयरकंडिशन बंद रहने, सिस्टम बंद रहने से बिजली की खपत कम हो रही है। इससे कंपनियों को ऑफिस मेंटिनेंस में कम खर्च करना पड़ रहा है। जहां तक कर्मचारियों की बात है, तो उन्हें वर्क फ्रॉम होम से इस बात की राहत मिल रही है कि वे भीड़ से अपने आपको बचा पा रहे हैं। दफ्तर आने-जाने का झंझट दूर हो गया है। परंतु इंटरनेट की स्पीड नहीं मिलना, वर्क स्टेशन के प्रॉपर काम नहीं करने की स्थिति में वे तनाव में आ जाते हैं। इन समस्याओं को झेलते हुए लंबे समय तक वर्क फ्रॉम होम से कर्मचारियों में मानसिक अवसाद की भी समस्याएं आ रही हैं। मैनेजर लेवल के कर्मचारियों का मनना है कि घर से काम करने में उन्हें वो फीलिंग नहीं आती है।

डॉ० ऋचा मित्तल समाज सेवी संस्था तरंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। वे अपने विचार ट्विटर हैंडल @drairicha पर भी साझा करती हैं।

 

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